सिर्फ मतलबों के रिश्तेदार बनाये हमने हर बार अपनों ने ही नीचा दिखाया हम को। सिर्फ मतलबों के रिश्तेदार बनाये हमने हर बार अपनों ने ही नीचा दिखाया हम को।
या खुद अपनी मर्ज़ी से यह भगवान बिक रहा है। या खुद अपनी मर्ज़ी से यह भगवान बिक रहा है।
ये हादसों का दौर है ये हादसों का दौर। गर ना हो जीवन में तो हादसों से,सबक लेगा कौन? ये हादसों का दौर है ये हादसों का दौर। गर ना हो जीवन में तो हादसों से,सब...
फिर आया इक ऐसा दौर तनहाई के सिवा बचा न चारा और फिर आया इक ऐसा दौर तनहाई के सिवा बचा न चारा और
अपने चारों ओर ऐसे कमतर इनसानों की भीड़ को देखा है, अपने चारों ओर ऐसे कमतर इनसानों की भीड़ को देखा है,
यह कैसा दौर है न कहीं जाना है न ही कमाना है । यह कैसा दौर है न कहीं जाना है न ही कमाना है ।